Tuesday, August 4, 2020

पानी था

पानी था
नदी थी, तालाब था,
या शायद सैलाब था,
नाँव थी, पतवार थी,
पतवार चला रहे थे हम।

ऊँची इमारत थी,
छत थी, सीढ़ी थी,
पर मुँडेर पर लटके थे हम,
कोई मदद को आ रहा था,
वहीं अटके थे हम।

कहीं दूर गए थे,
कुछ काम था, देर हो रही थी,
काम हुया नही था, 
पर निबटाना था, 
वापस घर जाना था।

बारिश थी, 
पुल था, नदी थी,
बाढ़ आ रही थी शायद,
सन्नाटा बहुत था,
घर जा रहे थे हम।

नींद थी,
थकान थी, सोच परेशान थी,
घर कमरा बिस्तर दिखते ही
लेट गए थे, सोना था,
पर आँखे बंद की और देखा,

पानी था !